V.S Awasthi

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हिन्दी दिवस




वतन के हम रखवाले हैं
वतन पर ही मिट जायेंगे
जब जान हमारी जायेगी
 वतन के गीत ही गायेंगे

ये वतन हमारा प्यारा है
धरती पर सबसे न्यारा है
वतन की रक्षा के खातिर
हम अपने प्राण गवांयेंगे

वतन हमें आजाद मिला
आजाद इसे रख जायेंगे
अन्तिम सांसों तक अपनी
हम इसकी शान बढ़ायेंगे

हम इस वतन के माली हैं
उपवन हम इसे बनायेंगे
आजादी के सुमन खिला
वतन को हम महकायेंगे

आजादी के लिए यहां पर
कितने वीर शहीद हो गए
उनकी वीर शहादत को
हम कभी भुला ना पायेंगे

जिन जननी के लाल शहीद हुए
उनको शत् बार नमन वन्दन
उनके पावन चरणों की रज को
है पथिक बनाता है चन्दन

अब वर्ष पचहत्तर हो गये 
जब हुए थे हम आजाद
आजादी के इस पुष्प को
रखना है हमें आबाद

कोई दुश्मन फिर से यहां पर
आंख उठा देख ना पाये
आंखों को उसकी फोड़ ही देंगे
चाहे जान चली ही जाये

भारत विश्व तिरंगा प्यारा
भारत पर लहरायेगा
जिसने इस पर घात लगाई
वो सदा को मिट जायेगा
स्वरचित:- विद्या शंकर अवस्थी पथिक

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4 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ, लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Bahut khoob 🙏🌺

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Raziya bano

07-Sep-2022 11:09 AM

Bahut khub

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